वैसे तो हमारे शरीर के सभी अंग महत्वपूर्ण होते हैं। फिर भी अगर हम अपने शरीर के सबसे नाजुक और महत्वपूर्ण अंग की बात करें, तो वह आंखें होती हैं। हम अक्सर कुछ ऐसी गलतियां कर रहे हैं, जिसके कारण हमारी आंखों की रोशनी कम हो रही है। इसके अलावा भी धीरे–धीरे हमारी आंखों में तरह–तरह की बीमारियां हो रही है। हम अपनी आंखों के साथ जाने अनजाने में लापरवाही कर रहे हैं।
क्या आपकी आंखें भी कमजोर हो रही हैं? या फिर आपकी आंखों में तरह–तरह की बीमारियां हो रही है? अगर ऐसा है तो ये पोस्ट आपके लिए है। इस पोस्ट के माध्यम से हम आपको यह जानकारी देंगे कि आखिर हम ऐसी क्या गलती कर रहे हैं, जिसके कारण कम उम्र में हमे आंखों की दिक्कत हो रही है। पूरी जानकारी के लिए अंत तक पोस्ट को जरूर पढ़ें।
आंखों से संबंधित समस्याएं ( Eye Related Problems )
पिछले कुछ सालों से आंखों की समस्या आम हो चुकी है। पहले तो ज्यादा उम्र के लोगों को ही आंखों की समस्याएं होती थी, लेकिन आज के समय में कम उम्र में भी आंखों से संबंधित कई प्रकार की बीमारियां हो रही है। चलिए जान लेते हैं की आंखों से जुड़ी कौन सी समस्या अब अधिकतर लोगों को हो रही है।
- आंखों की रोशनी कम होना
- मोतियाबिंद की समस्या
- ट्राइकियासिस
- फ्लोटर्स की समस्या
- डायबिटिक रेटिनोपैथी
- मैक्यूलर डिजनरेशन
इन कारणों की वजह से हो सकती है, आंखों में बड़ी समस्या
आहार में पोषक तत्व की कमी ( Lack of Nutrients in Diet)
बहुत बार हम ऐसे आहार का सेवन कर रहे होते हैं, जिसमें पोषक तत्व की कमी होती है। पोषक तत्व की कमी के कारण आंखों से जुड़ी समस्याएं भी हमें हो रही है। देखा जाए तो अगर हम अपने आहार में प्रोटीन की कमी करते हैं, तो प्रोटीन की कमी के कारण मोतियाबिंद और आंखों में कमजोरी जैसी बीमारियां हो रही है। इसके अलावा अलग-अलग पोषक तत्व की कमी से के कारण हमारी आंखों में अलग-अलग बीमारियां हो सकती हैं।
अनुवांशिक बीमारी ( Genetic Disease )
आंखें हमारे शरीर का सबसे महत्वपूर्ण अंग होती है। बहुत बार ऐसा होता है कि हम अपनी आंखों का ध्यान भी रख रहे होते हैं, लेकिन फिर भी हमारी आंखों में कोई बीमारी हो जाती है। कई बार अनुवांशिक प्रभाव के कारण भी हमारी आंखों में समस्या हो जाती है। अगर हमारे परिवार के किसी सदस्य को डायबिटीज है, तो हमें भी डायबिटीज की समस्या हो सकती है। डायबिटीज की समस्या के कारण हमारी आंखों की रोशनी धीरे–धीरे कम होने लगती है। डायबिटीज़ के कारण हमारी आंखो मे खून की नसे बंद हो सकती है, इसलिए सही पोषण और सही मात्रा मे चीनी का सेवन कंट्रोल करना अति आवश्यक है|
आयु ( Age )
अक्सर हमारी आयु बढ़ाने के कारण भी हमें आंखों से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं। अक्सर 40 वर्ष से उम्र के अधिक लोगों में प्रेसबायोपपिया की समस्या देखने को मिलती है। ईस बीमारी मे नजदीक की चीजें कम दीखाई देती है, ये समस्या 40-45 उम्र के बाद हर किसी को हो सकती है। अक्सर 100 में से 50 लोगों को आज के समय में यह समस्या हो रही है।
आंखों का ध्यान ना रखना ( Not Taking Care of Eyes )
सभी लोग इतने ज्यादा व्यस्त हो चुके हैं कि अपने शरीर का ध्यान ही नहीं रखते हैं। अक्सर हम जाने अनजाने में अपनी आंखों का बिल्कुल भी ध्यान नहीं रखते हैं। जिसके कारण हमारी आंखों में तरह–तरह की बीमारियां हो जाती हैं। अगर हम समय रहते आंखों से जुड़ी छोटी–छोटी समस्याओं पर ध्यान दें, तो हमें बाद में फिर बड़ी बीमारी का सामना नहीं करना पड़ेगा।
आंखों की रोशनी कम होना, आंखें लाल होना, आंखों में दर्द होना, आंखों में कलर पहचानने से संबंधित दिक्कत या फिर अन्य प्रकार की अगर कोई भी परेशानी आपको हो रही है, तो डॉक्टर से संपर्क जरूर करना चाहिए।
आंखों पर स्ट्रेन ( Strain On Eyes )
चाहे आपका शरीर हो या फिर आपकी आंखें, आराम की जरूरत तो होती ही है। अगर आप कंप्यूटर पर लंबे समय तक काम करते हैं या फिर आप लंबे समय तक मोबाइल फोन का इस्तेमाल करते हैं, तो ऐसी स्थिति में आंखें थकी हुई और सूखी सूखी हो जाती है । जिसके कारण हमारी आंखों में चुभन हो सकती है और इसके अलावा हमारी आंखों की रोशनी भी बहुत कम हो सकती है। आंखो पर स्ट्रेन आने से आंखे लाल भी हो सकती है और ड्राईनेस की बीमारी भी हो सकती है|
अपर्याप्त नींद ( Insufficient Sleep)
नींद शरीर की मरम्मत और कायाकल्प के लिए आवश्यक है, और इसमें आँखें भी शामिल हैं। अपर्याप्त नींद से सूखी आँखें, फड़कना और धुंधली दृष्टि जैसी समस्याएँ हो सकती हैं। बढ़ते शैक्षणिक और सामाजिक दबावों के साथ, कई युवा लोगों को अनुशंसित मात्रा में नींद नहीं मिल रही है, जिससे उनकी आँखों के स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है।
नियमित नींद की दिनचर्या स्थापित करना और नींद के अनुकूल वातावरण बनाना नींद की गुणवत्ता को बेहतर बनाने में मदद कर सकता है। कोई भी स्क्रीन अंधेरे कमरे मे ईस्तेमाल नही करना चाहीए, ईससे आंखो पर ज्यादा स्ट्रेन पडता है, रात को सोने से लगभग एक घंटे पहले टी. व्ही, मोबाईल स्क्रीन का ईस्तेमाल कम करने की कोशिश करनी चाहिए. ईससे ना सिर्फ आंखो का स्ट्रेन कम होता है बल्कि नींद भी सुकून की आती है |
निष्कर्ष
युवा लोगों में आंखों की समस्याओं में वृद्धि एक बहुआयामी मुद्दा है जो विभिन्न कारकों से प्रेरित है, जैसे कि स्क्रीन पर अधिक समय बिताना और बाहरी गतिविधियों की कमी से लेकर आंखों की देखभाल की खराब आदतें और आनुवंशिक प्रवृत्तियाँ। इन कारकों को समझकर और सक्रिय उपाय करके, हम अगली पीढ़ी की दृष्टि की रक्षा करने में मदद कर सकते हैं। अगर आप भी आँखो से संबंधित कोई भी समस्या से झुँझ रहे हो तो कृपया हमारे Doctor Eye Institute में अवश्य विज़िट करे या कृपया इस नंबर पे कॉल/Whatsapp करे – +919930309434